Retirement Age News: देशभर में सरकारी कर्मचारियों के बीच रिटायरमेंट उम्र को लेकर एक बार फिर बहस तेज हो गई है। विशेष रूप से न्यायिक सेवा से जुड़े कर्मचारी इस मुद्दे को लेकर सक्रिय हो गए हैं। उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा संघ ने राज्य सरकार को औपचारिक रूप से पत्र भेजकर रिटायरमेंट उम्र को 60 वर्ष से बढ़ाकर 62 वर्ष करने की मांग की है। संघ का कहना है कि आज के दौर में जब कर्मचारियों का अनुभव सबसे अधिक मायने रखता है, ऐसे में 60 वर्ष में रिटायर कर देना तर्कसंगत नहीं है।
संघ के महासचिव हरेंद्र बहादुर सिंह ने राज्य के मुख्य सचिव को एक पत्र लिखकर कहा है कि पूर्व में 2021 में भी यह मांग की गई थी, लेकिन उस समय कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई। अब एक बार फिर यह मुद्दा उठाया गया है।
तेलंगाना और मध्य प्रदेश से प्रेरणा
हरेंद्र बहादुर सिंह ने पत्र में सुप्रीम कोर्ट और अन्य राज्यों की नजीर का हवाला दिया है। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना सरकार को जिला न्यायालय में कार्यरत न्यायिक अधिकारियों की रिटायरमेंट उम्र 61 वर्ष तक बढ़ाने की अनुमति दी थी। इसी तरह, मध्य प्रदेश में भी हाई कोर्ट ने सरकार को ऐसे मामले में विचार करने का निर्देश दिया था।
संघ का कहना है कि उत्तर प्रदेश में न्यायिक पदों पर 1000 से अधिक रिक्तियां हैं, जिन्हें फिलहाल भरना मुश्किल हो रहा है। अगर रिटायरमेंट उम्र बढ़ा दी जाती है, तो न केवल अनुभव का लाभ मिलेगा, बल्कि पदों की कमी से भी राहत मिल सकती है।
सोशल मीडिया पर वायरल पोस्ट की सच्चाई
इन सबके बीच सोशल मीडिया पर एक दावा तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें कहा गया है कि भारत सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों के लिए रिटायरमेंट उम्र 60 से बढ़ाकर 62 वर्ष कर दी है। दावा किया गया है कि यह नई व्यवस्था 1 अप्रैल से लागू भी हो चुकी है।
हालांकि, प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) की फैक्ट चेक टीम ने इस खबर को पूरी तरह फर्जी बताया है। PIB ने स्पष्ट रूप से कहा है कि सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की उम्र में कोई बदलाव नहीं किया है। यह वायरल पोस्ट गुमराह करने वाली है और आम लोगों में भ्रम पैदा कर रही है।
वर्तमान में क्या है रिटायरमेंट की उम्र सीमा?
अभी भारत के अधिकतर राज्यों में सरकारी कर्मचारियों की रिटायरमेंट उम्र 60 वर्ष निर्धारित है। हालांकि कुछ विशेष पदों और सेवाओं में यह उम्र भिन्न हो सकती है। उदाहरण के लिए, उच्च न्यायालय के जज 62 वर्ष तक और सुप्रीम कोर्ट के जज 65 वर्ष तक सेवाएं दे सकते हैं।
लेकिन सामान्य वर्ग के कर्मचारी—चाहे वो शिक्षक हों, क्लर्क हों या अन्य किसी विभाग में कार्यरत कर्मचारी—उन्हें 60 वर्ष की उम्र में रिटायर किया जाता है। यही वजह है कि कर्मचारियों की लंबे समय से यह मांग रही है कि रिटायरमेंट की उम्र सीमा में संशोधन किया जाए।
अनुभव का लाभ लेना क्यों जरूरी है?
न्यायिक सेवा संघ और अन्य कर्मचारी संगठनों का मानना है कि जिन अधिकारियों और कर्मचारियों ने दशकों तक विभाग को सेवा दी है, उनके अनुभव का लाभ लिया जाना चाहिए। उम्र सीमा बढ़ाकर विभाग न केवल अनुभवशील कर्मचारियों को रोके रख सकता है, बल्कि नवागत कर्मचारियों के मार्गदर्शन के लिए भी एक सशक्त व्यवस्था बन सकती है।
इसके अलावा, वर्तमान समय में बढ़ती जीवन प्रत्याशा और बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के कारण कर्मचारी 60 वर्ष की उम्र में भी कार्य करने के लिए सक्षम होते हैं। कई निजी कंपनियों में रिटायरमेंट की उम्र 62 से 65 वर्ष तक है, और सरकारी ढांचे में भी इस पर पुनर्विचार जरूरी हो गया है।
सरकार की ओर से कोई आधिकारिक घोषणा नहीं
फिलहाल, केंद्र सरकार की ओर से रिटायरमेंट उम्र बढ़ाने को लेकर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। न ही इस संबंध में कोई प्रस्ताव संसद या कैबिनेट के सामने लाया गया है। हालांकि विभिन्न कर्मचारी संगठनों द्वारा लगातार इस मुद्दे को उठाया जा रहा है, और राज्यों में न्यायिक सेवाओं को लेकर सीमित स्तर पर परिवर्तन भी देखने को मिले हैं।
फैक्ट vs अफवाह
- सच: उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा संघ ने रिटायरमेंट उम्र सीमा को लेकर राज्य सरकार से पत्राचार किया है।
- अफवाह: सोशल मीडिया पर वायरल हो रही खबर कि सभी सरकारी कर्मचारियों की रिटायरमेंट उम्र 60 से बढ़ाकर 62 वर्ष कर दी गई है, फर्जी है।
- पीआईबी का बयान: ऐसी कोई घोषणा भारत सरकार की ओर से नहीं हुई है, यह दावा गुमराह करने वाला है।
महत्वपूर्ण बातें संक्षेप में:
- वर्तमान में सामान्य सरकारी कर्मचारियों की रिटायरमेंट उम्र 60 वर्ष है।
- उत्तर प्रदेश में न्यायिक सेवा संघ ने रिटायरमेंट उम्र 62 वर्ष करने की मांग की है।
- सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना में रिटायरमेंट उम्र बढ़ाने को मंजूरी दी थी।
- सोशल मीडिया पर वायरल खबर को PIB ने फेक न्यूज़ घोषित किया है।
अगर आप सरकारी नौकरी में हैं या रिटायरमेंट से जुड़ी खबरों में रुचि रखते हैं, तो यह जरूरी है कि आप अधिकारिक स्रोतों से ही जानकारी प्राप्त करें। किसी भी वायरल खबर पर बिना पुष्टि के भरोसा न करें।