NEET PG 2025: काउंसलिंग से पहले कॉलेज बताएंगे पूरी फीस, सीट ब्लॉक करने पर मिलेगी सख्त सजा

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NEET PG 2025: सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल पीजी प्रवेश प्रक्रिया में सीट ब्लॉक करने की कुप्रथा पर सख्त रुख अपनाते हुए कई अहम दिशा-निर्देश जारी किए हैं। अब NEET PG काउंसलिंग से पहले ही सभी निजी और डीम्ड यूनिवर्सिटी को अपनी फीस संरचना सार्वजनिक करनी होगी। साथ ही, जो छात्र जानबूझकर सीट ब्लॉक करेंगे, उन पर कड़ी सजा लागू होगी—जिसमें सिक्योरिटी डिपॉजिट की जब्ती और भविष्य की NEET PG परीक्षाओं से अयोग्यता भी शामिल है।

सुप्रीम कोर्ट का सख्त आदेश

जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की पीठ ने इस फैसले में स्पष्ट किया कि मेडिकल कॉलेजों में सीट ब्लॉक करने की प्रवृत्ति न केवल योग्यता आधारित प्रणाली को नुकसान पहुंचा रही है, बल्कि इससे छात्रों के बीच असमानता और भ्रम की स्थिति पैदा होती है। पीठ ने कहा कि इस प्रक्रिया से सीट की वास्तविक उपलब्धता प्रभावित होती है और यह प्रवेश प्रणाली को पारदर्शी एवं निष्पक्ष बनाए रखने में बड़ी बाधा है।

क्या है ‘सीट ब्लॉकिंग’?

सीट ब्लॉकिंग वह प्रक्रिया है जिसमें कुछ छात्र जानबूझकर सीट ले लेते हैं लेकिन बाद में उस पर प्रवेश नहीं लेते। इससे वास्तविक इच्छुक और योग्य छात्रों को अवसर नहीं मिल पाता। साथ ही सीट खाली रह जाती है, जिससे संसाधनों का दुरुपयोग होता है।

दोषी छात्रों और कॉलेजों को मिलेगी सजा

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि:
  • जो छात्र जानबूझकर सीट ब्लॉक करेंगे, उनकी सिक्योरिटी डिपॉजिट जब्त कर ली जाएगी।
  • ऐसे छात्रों को आगामी NEET PG परीक्षाओं में भाग लेने से वंचित कर दिया जाएगा।
  • यदि कोई मेडिकल कॉलेज इस कुप्रथा में शामिल पाया गया तो उसे ब्लैकलिस्ट कर दिया जाएगा।

कोर्ट के फैसले की पृष्ठभूमि

यह आदेश उत्तर प्रदेश सरकार और चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण निदेशक, लखनऊ द्वारा दायर याचिका पर आया है, जिसमें इलाहाबाद हाईकोर्ट के 2018 के फैसले को चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने यह भी कहा कि सीट ब्लॉकिंग योग्यता आधारित प्रक्रिया को संयोग आधारित बना देती है, जिससे NEET PG काउंसलिंग की मूल भावना ही प्रभावित होती है।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश: पारदर्शी काउंसलिंग के लिए व्यापक सुधार

सीट ब्लॉकिंग और फीस को लेकर कोर्ट ने कई ठोस निर्देश दिए हैं, जिनका पालन सभी राज्यों और संस्थानों को करना होगा:
  1. सिंक्रोनाइज़ काउंसलिंग कैलेंडर: अखिल भारतीय कोटा और राज्य स्तरीय काउंसलिंग को एक समन्वित समयसारणी के तहत संचालित करना होगा ताकि सीट ब्लॉकिंग को रोका जा सके।
  2. फीस का पूर्व खुलासा: सभी निजी और डीम्ड विश्वविद्यालयों को काउंसलिंग से पहले ट्यूशन फीस, हॉस्टल शुल्क, कॉशन मनी और अन्य शुल्कों का स्पष्ट विवरण देना अनिवार्य होगा।
  3. राष्ट्रीय शुल्क विनियमन ढांचा: नेशनल मेडिकल कमीशन के अंतर्गत एक केंद्रीकृत शुल्क नियमन प्रणाली विकसित की जाएगी।
  4. सीट अपग्रेडिंग विंडो: राउंड-2 के बाद उम्मीदवारों को बेहतर सीट मिलने की स्थिति में अपग्रेड विकल्प की अनुमति दी जाएगी, बिना काउंसलिंग को दोबारा खोले।
  5. मल्टी-शिफ्ट परीक्षा में पारदर्शिता: नीट पीजी परीक्षा में विभिन्न शिफ्टों की स्कोरिंग में पारदर्शिता लाने के लिए अंक, उत्तर कुंजी और सामान्यीकरण सूत्र सार्वजनिक किए जाएंगे।
  6. आधार आधारित सीट ट्रैकिंग: छात्रों की पहचान और सीटों की स्थिति पर निगरानी के लिए आधार आधारित ट्रैकिंग प्रणाली लागू की जाएगी।
  7. सख्त उत्तरदायित्व प्रणाली: काउंसलिंग नियमों या शेड्यूल के उल्लंघन पर राज्य और संस्थागत अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी।
  8. समान परामर्श आचार संहिता: सभी राज्यों में काउंसलिंग, मॉप-अप राउंड, सीट वापसी और शिकायतों के लिए एक समान प्रक्रिया लागू की जाएगी।
  9. तृतीय-पक्ष निगरानी तंत्र: NEET PG काउंसलिंग की निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए NMC के तहत एक स्वतंत्र निगरानी प्रणाली स्थापित की जाएगी।

फैसले का महत्व और प्रभाव

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला NEET PG काउंसलिंग को अधिक पारदर्शी, निष्पक्ष और योग्यता आधारित बनाने की दिशा में एक अहम कदम है। फैसले में यह भी कहा गया कि, “सीट ब्लॉक करना सिर्फ एक गलती नहीं, बल्कि यह नीति की कमजोरी और पारदर्शिता की कमी को भी उजागर करता है।”

इससे स्पष्ट होता है कि अब छात्रों और कॉलेजों, दोनों को अपनी जिम्मेदारी को लेकर अधिक सजग रहना होगा। नियमों का उल्लंघन अब आसानी से नजरअंदाज नहीं किया जाएगा।

NEET PG 2025 की काउंसलिंग प्रक्रिया में अब बड़ी पारदर्शिता और जवाबदेही लाने की तैयारी है। सुप्रीम कोर्ट के इन आदेशों से छात्रों को यह संदेश भी गया है कि अब योग्यता और ईमानदारी से ही मेडिकल पीजी सीट प्राप्त की जा सकती है। सीट ब्लॉक करने वालों के लिए अब कोई जगह नहीं है। इसके साथ ही मेडिकल शिक्षा प्रणाली को स्वच्छ और निष्पक्ष बनाने की दिशा में यह एक ऐतिहासिक निर्णय साबित होगा।

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