ISRO Online Course: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने देशभर के स्कूल शिक्षकों के लिए “स्पेस एजुकेशन, ट्रेनिंग एंड नॉलेज अपग्रेडेशन” (SETU 2025) नामक एक खास ऑनलाइन कोर्स शुरू किया है। इस कोर्स का उद्देश्य कक्षा 9वीं से 12वीं तक पढ़ाने वाले शिक्षकों को भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम और स्पेस टेक्नोलॉजी की गहन जानकारी प्रदान करना है।
मुफ्त में मिलेगा 5 दिन का ऑनलाइन कोर्स
यह प्रशिक्षण पूरी तरह से ऑनलाइन और निशुल्क होगा। इसमें हिस्सा लेने वाले शिक्षकों को 9 जून से 13 जून 2025 तक कुल पांच दिन की ट्रेनिंग दी जाएगी। इच्छुक शिक्षक 6 जून 2025 तक इस कोर्स के लिए आवेदन कर सकते हैं। कोर्स में भाग लेने के लिए किसी भी बोर्ड के शिक्षक आवेदन कर सकते हैं।
क्या सिखाया जाएगा इस कोर्स में?
ISRO के अनुसार, इस ऑनलाइन कोर्स के माध्यम से शिक्षकों को निम्नलिखित प्रमुख विषयों पर जानकारी दी जाएगी:
- भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम और इसकी प्रमुख उपलब्धियां
- स्पेसक्राफ्ट सिस्टम्स की मूल बातें
- सैटेलाइट कम्युनिकेशन और नेविगेशन टेक्नोलॉजी
- सैटेलाइट मीटियोरोलॉजी (उपग्रह मौसम विज्ञान)
- मानव अंतरिक्ष मिशन से जुड़ी तकनीकें और जानकारी
तकनीकी स्किल्स का भी मिलेगा प्रशिक्षण
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान शिक्षकों को तकनीकी कौशल भी सिखाए जाएंगे, जैसे:
- सैटेलाइट इमेजरी से जानकारी प्राप्त करना
- ऑनलाइन डेटा रिपोजिटरी से जियो डेटा को एक्सेस करना
- GIS (Geographical Information System) की मदद से विभिन्न समस्याओं का समाधान करना
IIRS के ई-लर्निंग प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध होगा कोर्स
यह ऑनलाइन कोर्स ISRO के कैपेसिटी बिल्डिंग प्रोग्राम ऑफिस (CBPO) और भारतीय रिमोट सेंसिंग संस्थान (IIRS) के संयुक्त प्रयास से आयोजित किया जा रहा है। पूरा कोर्स IIRS के ई-लर्निंग प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध रहेगा। इससे शिक्षकों को कहीं से भी आसानी से प्रशिक्षण प्राप्त करने की सुविधा मिलेगी।
कैसे करें आवेदन?
इस कोर्स में भाग लेने के लिए इच्छुक शिक्षक IIRS की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। आवेदन प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन है और अंतिम तिथि से पहले रजिस्ट्रेशन करना अनिवार्य है।
विज्ञान के प्रति प्रेरित करेगा यह कोर्स
ISRO का यह SETU 2025 कोर्स उन शिक्षकों के लिए एक सुनहरा अवसर है, जो अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में अपनी जानकारी को अपडेट करना चाहते हैं। यह पहल न केवल शिक्षकों की ज्ञानवर्धन में सहायक होगी, बल्कि वे छात्रों को भी अंतरिक्ष विज्ञान के प्रति प्रेरित कर सकेंगे।