पटना: बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की 70वीं प्रारंभिक परीक्षा (PT) को लेकर एक बार फिर बवाल खड़ा हो गया है। परीक्षा में अनियमितता के आरोपों के बीच जाने-माने शिक्षक खान सर ने सैकड़ों अभ्यर्थियों के साथ पटना की सड़कों पर प्रदर्शन शुरू कर दिया हैं। उनकी मांग हैं की 13 दिसंबर 2024 और 4 जनवरी 2025 को आयोजित परीक्षा को रद्द कर दोबारा परीक्षा आयोजित की जाए।
खान सर का सरकार को चेतावनी
खान सर ने गर्दनीबाग धरना स्थल पर पहुंचकर सरकार को चेतावनी दी हैं। उन्होंने कहा, “अगर री-एग्जाम कराया गया तो इसका सबसे ज्यादा फायदा सरकार को ही होगा। चुनाव में सरकार को गुस्सा नहीं झेलना पड़ेगा। धांधली हुई है, ये सभी को पता है।” उन्होंने यह भी कहा कि, वे और उनके साथी छात्रों के हित के लिए लड़ रहे हैं और पुलिस प्रशासन से सहयोग की अपील की है।
नेताओं का समर्थन और कोर्ट में मामला
इस आंदोलन को कई बड़े नेताओं का समर्थन मिल चुका हैं। जन अधिकार पार्टी के नेता पप्पू यादव, जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर, कांग्रेस नेता राहुल गांधी और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने भी परीक्षा रद्द करने की मांग का समर्थन किया हैं। मामला पटना हाईकोर्ट में भी विचाराधीन है और अगली सुनवाई 28 फरवरी को होनी हैं।
परीक्षा में अनियमितता का आरोप
बीपीएससी की 70वीं पीटी परीक्षा 13 दिसंबर 2024 को आयोजित की गई थी। जिसमे, पटना के बापू परीक्षा केंद्र पर अनियमितता के आरोप लगे थे, जिसके बाद इस केंद्र की परीक्षा रद्द कर दी गई और 4 जनवरी 2025 को दोबारा परीक्षा आयोजित की गई । अभ्यर्थियों का आरोप है कि बीपीएससी ने नॉर्मलाइजेशन नहीं करने का वादा किया था, लेकिन बाद में अपने वादे से मुकर गया।
पुलिस बल तैनात
आंदोलन को और मजबूत बनाने के लिए कोचिंग संस्थानों के शिक्षक और छात्र भी जुट रहे हैं। गुरु रहमान जैसे अन्य कोचिंग संचालक भी धरना स्थल पर पहुंच चुके हैं। बढ़ते प्रदर्शन को देखते हुए पटना में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। मुख्य चौराहों पर पुलिस बल तैनात किया गया है।
छात्रों की क्या हैं मांग?
छात्रों की मुख्य मांग हैं की परीक्षा रद्द कर दोबारा आयोजित की जाए और पटना प्रशासन द्वारा प्रदर्शन के दौरान हुये छात्रों पर दर्ज किए गए मुकदमे वापस लिए जाएं। आंदोलन कर रहे छात्रों का कहना हैं की वे तब तक चैन से नहीं बैठेंगे, जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं।
चुनावी माहौल में इसका असर देखने को मिल सकता हैं
इस आंदोलन ने बिहार की राजनीति में नई गर्मी पैदा कर दी है और चुनावी माहौल में इसका असर देखने को मिल सकता हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार और बीपीएससी इस मामले में क्या कदम उठाते हैं।