UP B.Ed Teacher Recruitment 2025: उत्तर प्रदेश में शिक्षक बनने की तैयारी कर रहे लाखों युवाओं के लिए एक बड़ी राहत की खबर सामने आई है। लंबे समय से बी.एड (B.Ed) को अनिवार्य योग्यता से हटाने की मांग कर रहे अभ्यर्थियों के लिए अब उम्मीद की किरण दिखाई दी है। यूपी शिक्षा सेवा चयन आयोग ने प्रवक्ता पद पर बी.एड की अनिवार्यता को लेकर गंभीर रुख अपनाया है और इसे हटाने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं। यह कदम उन युवाओं के लिए किसी वरदान से कम नहीं है, जो बी.एड की डिग्री न होने के कारण अब तक इस भर्ती प्रक्रिया से बाहर रह जाते थे।
अभ्यर्थियों का लंबे समय से था विरोध
उत्तर प्रदेश में बड़ी संख्या में अभ्यर्थी बी.एड की अनिवार्यता को लेकर पिछले कई वर्षों से विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। इनका कहना था कि प्रवक्ता पद के लिए पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री पर्याप्त होनी चाहिए और बी.एड को अनिवार्य बनाना योग्य अभ्यर्थियों के साथ अन्याय है। इस मांग को लेकर अभ्यर्थियों ने कई बार धरना-प्रदर्शन भी किए। छात्रों का यह आंदोलन अब रंग लाता नजर आ रहा है।
शिक्षा सेवा चयन आयोग ने भेजा पत्र
छात्रों के इस आंदोलन को गंभीरता से लेते हुए उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग ने माध्यमिक शिक्षा परिषद के सचिव को एक पत्र भेजा है। इस पत्र में प्रवक्ता भर्ती में बी.एड की अनिवार्यता समाप्त करने के संबंध में सुझाव दिए गए हैं। आयोग ने स्पष्ट किया है कि सरकार पर इस दिशा में निर्णय लेने का दबाव बढ़ रहा है और इस विषय पर तुरंत विचार किया जाना चाहिए।
बड़ी संख्या में पद हैं रिक्त
उत्तर प्रदेश में राजकीय और अशासकीय विद्यालयों में प्रवक्ता के हजारों पद रिक्त पड़े हैं। जानकारी के अनुसार, फिलहाल राजकीय विद्यालयों में 1,647 और अशासकीय विद्यालयों में 4,384 प्रवक्ता पद खाली हैं। इन पदों पर भर्ती प्रक्रिया जल्द ही शुरू की जानी है, जिसके लिए अधियाचन उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) को भेजा जा चुका है।
नई नियमावली में B.Ed अनिवार्य, अभ्यर्थियों में रोष
पहले प्रवक्ता पद के लिए केवल स्नातकोत्तर डिग्री आवश्यक थी, लेकिन हालिया नियमावली में B.Ed को भी अनिवार्य कर दिया गया है। इस बदलाव के चलते बड़ी संख्या में ऐसे अभ्यर्थी जो बी.एड नहीं किए हैं, वे इस प्रक्रिया से बाहर हो जाएंगे। छात्र संगठनों का कहना है कि नई विज्ञप्ति में तब तक बदलाव नहीं किया जाना चाहिए जब तक बी.एड की अनिवार्यता समाप्त नहीं कर दी जाती।
105 साल पुराने नियमों में किया गया बदलाव
माध्यमिक शिक्षा परिषद अधिनियम 1921 को हटाकर वर्तमान में नए नियम लागू किए जा रहे हैं। बिना किसी सार्वजनिक सूचना के बी.एड को अनिवार्य बनाना, अभ्यर्थियों के लिए एक झटका है। इससे लाखों की संख्या में योग्य उम्मीदवार भर्ती प्रक्रिया से बाहर हो सकते हैं।
एलटी ग्रेड और विषयों में बदलाव से भी मची हलचल
एलटी ग्रेड के तहत जीव विज्ञान जैसे विषयों को स्वतंत्र विषय के रूप में समाप्त कर दिया गया है, जिससे राजकीय विद्यालयों में विज्ञान शिक्षकों की भर्ती भी प्रभावित हो रही है। इसके अलावा, यूपी बोर्ड में एक समान पाठ्यक्रम लागू कर दिया गया है जिससे सरकारी और एडेड स्कूलों में समानता सुनिश्चित हो सके।
क्या कहता है छात्र मोर्चा?
छात्र मोर्चा के अध्यक्ष और अन्य प्रतिनिधियों ने शिक्षा सेवा चयन आयोग से अपील की है कि जब तक बी.एड की अनिवार्यता को समाप्त नहीं किया जाता, तब तक प्रवक्ता भर्ती का नया विज्ञापन न जारी किया जाए। उनका तर्क है कि यदि बी.एड को अनिवार्य रखा गया तो इससे लाखों अभ्यर्थियों का सपना अधूरा रह जाएगा।
भर्ती प्रक्रिया में बदलाव की उम्मीद
अब सभी की नजरें शिक्षा सेवा चयन आयोग और माध्यमिक शिक्षा विभाग पर टिकी हैं। यदि सरकार बी.एड की अनिवार्यता को हटाने का निर्णय लेती है तो इससे न केवल लाखों युवाओं को लाभ होगा, बल्कि शिक्षकों की भारी कमी को भी दूर किया जा सकेगा।